tag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post5957867128106821197..comments2023-09-17T03:22:12.188-07:00Comments on रेत घड़ी: तेरा वजूदआभाhttp://www.blogger.com/profile/07364442341282571944noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-89575178066148708682009-12-06T21:04:18.393-08:002009-12-06T21:04:18.393-08:00गहरी बातें , तबियत ख़राब है पर टिप्पणी किए बिना रु...गहरी बातें , तबियत ख़राब है पर टिप्पणी किए बिना रुका नहीं जा रहा |<br>बहुत सुंदर , ये कोलतार के निशान याद रखने लायक हैं |<br>अंधेरी शामों में साये की जरुरत ही नहीं होती , धूप में जब साये की जरुरत होती है तो अफ़सोस , साया नदारद होता है , और बड़ा दम लगता है , क्या फर्क पड़ता है छाया उसे बनना पड़ता है या हमें ,love is always a one way traffic.शारदा अरोराhttp://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-17230390213469419182009-12-06T22:18:45.668-08:002009-12-06T22:18:45.668-08:00फिर भी दोस्तअपनी आँखों मेंअब भी तुझे छुपा के रखा ह...फिर भी दोस्त<br>अपनी आँखों में<br>अब भी तुझे छुपा के रखा है<br>ऐसा नहीं है कि<br>तेरा वजूद<br>सिर्फ तेरे साथ चलता है.<br>बहुत सुन्दर और गहरे भाव लिये लाजवाब अभिव्यक्ति शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttp://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-14632296501898130902009-12-06T22:45:48.671-08:002009-12-06T22:45:48.671-08:00मेरे अफसोसों में बसएक यही सालता है मुझेकिधूप में म...मेरे अफसोसों में बस<br>एक यही सालता है मुझे<br>कि<br>धूप में मेरा साया<br>मिल नहीं पाता तेरे साये से,<br>और नीम अँधेरी शामों में<br>इक बिना साये की मुहब्बत<br>मुझसे मिलने आती थी।<br><br>इन पंक्तियों मे मुझे अलग ही बिंब मिले... पता नही आप ने किस भाव में लिखा...मगर मैने जिस समझ से पढ़ा उससे मुग्ध हूँ...! बहुत गहरी और संवेदनशील कविता....!कंचन सिंह चौहानhttp://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-33128426450896780422009-12-06T23:13:40.906-08:002009-12-06T23:13:40.906-08:00अपनी आँखों मेंअब भी तुझे छुपा के रखा हैऐसा नहीं है...अपनी आँखों में<br>अब भी तुझे छुपा के रखा है<br>ऐसा नहीं है कि<br>तेरा वजूद<br>सिर्फ तेरे साथ चलता है.<br><br><br>बहुत गहरे शब्द ........ प्रेम की उत्कृष्ट अभियक्ति ......... कुछ पल खामोशी छा गयी पढ़ने के बाद ........दिगम्बर नासवाhttp://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-69803435510032827362009-12-06T23:47:14.787-08:002009-12-06T23:47:14.787-08:00ऐसा नहीं है कितेरा वजूदसिर्फ तेरे साथ चलता है.waka...ऐसा नहीं है कि<br>तेरा वजूद<br>सिर्फ तेरे साथ चलता है.<br>wakai mein bhi mugdh hoon aapki rachnasheelta par.varshahttp://www.blogger.com/profile/03696490521458060753noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-9518237228213611842009-12-06T23:53:04.635-08:002009-12-06T23:53:04.635-08:00ऐसा नहीं है कितेरा वजूदसिर्फ तेरे साथ चलता है.क्या...ऐसा नहीं है कि<br>तेरा वजूद<br>सिर्फ तेरे साथ चलता है.<br><br>क्या बात है !neerahttp://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-38915596818258142822009-12-07T00:22:41.916-08:002009-12-07T00:22:41.916-08:00यह नवगीत इतना पसन्द आया कि कई बार पढ़ना पड़ा!यह नवगीत इतना पसन्द आया कि <br>कई बार पढ़ना पड़ा!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंकhttp://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-8030482267146883822009-12-07T00:49:21.591-08:002009-12-07T00:49:21.591-08:00कविता तो है ही बेहतरीन साथ ही साथ ये तस्वीर भी बहु...कविता तो है ही बेहतरीन साथ ही साथ ये तस्वीर भी बहुत धाँसू हैअनिल कान्त :http://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-18482932708309469112009-12-07T00:57:53.948-08:002009-12-07T00:57:53.948-08:00बहुत सुन्दर.बहुत सुन्दर.वन्दना अवस्थी दुबेhttp://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-15174656675141575432009-12-07T01:45:05.863-08:002009-12-07T01:45:05.863-08:00कवि सच में हर विधान से परे जाता है, उसे अतिक्रमित ...कवि सच में हर विधान से परे जाता है, उसे अतिक्रमित करता है. मेरे ही कल के गद्य का कवि के पास लगभग विपरीत विकल्प मौजूद है.सच में कविता शाश्वत को रचने का सामर्थ्य रखती है.sanjay vyashttp://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-55311253414168007792009-12-07T02:00:47.392-08:002009-12-07T02:00:47.392-08:00संजय जी के कमेन्ट को कविता के बाद पढ़ा तो अचरज हुआ...संजय जी के कमेन्ट को कविता के बाद पढ़ा तो अचरज हुआ कि उन्होंने कितनी बारीकी से इसे देखा है. सब सुधि लेखकों ने इसे स्नेह दिया है और मुझे भी लगता है कि कविता में कुछ है जो आकर्षित करता है.Kishore Choudharyhttp://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-34044634292379294322009-12-07T21:59:12.705-08:002009-12-07T21:59:12.705-08:00मेरे अफसोसों में बसएक यही सालता है मुझेकिधूप में म...मेरे अफसोसों में बस<br>एक यही सालता है मुझे<br>कि<br>धूप में मेरा साया<br>मिल नहीं पाता तेरे साये से,<br><br>सोचता हूँ के कभी कभी गम भी इतना खूबसूरत क्यों दिखाई देता है सफ्हो पर ?डॉ .अनुरागhttp://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-30624215794061311772009-12-07T22:25:45.036-08:002009-12-07T22:25:45.036-08:00ऐसा नहीं है कितेरा वजूदसिर्फ तेरे साथ चलता है..कुछ...ऐसा नहीं है कि<br>तेरा वजूद<br>सिर्फ तेरे साथ चलता है..कुछ साए यूँ ही साथ साथ चलते हैं और अपन होने का आभास देते रहते हैं .बहुत बढ़िया लिखा है आपने ..शुक्रियारंजना [रंजू भाटिया]http://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-51014998027394680402009-12-07T22:33:53.370-08:002009-12-07T22:33:53.370-08:00अनुभूतियों का सही चित्रणअनुभूतियों का सही चित्रणअजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-2501365209403145202009-12-09T05:52:50.575-08:002009-12-09T05:52:50.575-08:00आपकी कुछ पुरानी पोस्ट भी पढ़ी है और कुछेक याद भी ह...आपकी कुछ पुरानी पोस्ट भी पढ़ी है और कुछेक याद भी है... पहली बार लिख रहा हूँ... अच्छा लिखती हैं... नए ओर ध्यान दिलाती...सागरhttp://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-63774750165767729482009-12-13T09:22:24.185-08:002009-12-13T09:22:24.185-08:00आज एक लंबे अंतराल के बाद आ रहा हूँ आपको पढ़ने और अब...आज एक लंबे अंतराल के बाद आ रहा हूँ आपको पढ़ने और अब खुद पे क्रोध आ रहा है कि क्यों किया ये विलंब।<br><br>इस अफसोस की बात...अपने साये से उसके साये के ना मिल पाने का अफसोस और उसे बयां करने का अंदाज...उफ़्फ़्फ़्फ़!<br><br>और अचानक से ध्यान चला जाता है साइड -बार पर खुद के लिये लिखी पंक्तियों पर। एक और उफ़्फ़्फ़्फ़!गौतम राजरिशीhttp://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-57953873545876778362009-12-13T09:25:08.684-08:002009-12-13T09:25:08.684-08:00अरे हाँ, कविता के नीचे की वो अद्भुत तस्वीर...उसके...अरे हाँ, कविता के नीचे की वो अद्भुत तस्वीर...उसके लिये एक और उफ़्फ़्फ़्फ़!गौतम राजरिशीhttp://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-895412794303311132009-12-15T00:24:13.282-08:002009-12-15T00:24:13.282-08:00Lajbab...dil ko chhu gae...!Lajbab...<br>dil ko chhu gae...!Ravi Rajbharhttp://www.blogger.com/profile/16224660000339492496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-24093334619711732072009-12-15T09:02:52.784-08:002009-12-15T09:02:52.784-08:00aapki rachna-sheelta apne aap meiN anoothi hai...b...aapki rachna-sheelta <br>apne aap meiN <br>anoothi hai...<br>badhaaee .MUFLIShttp://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1498140580149238911.post-42167095479141871862009-12-16T00:45:47.211-08:002009-12-16T00:45:47.211-08:00इस बिना साये की मोहब्बत का जवाब नहीं ।सहज अभिव्यक्...इस बिना साये की मोहब्बत का जवाब नहीं ।सहज अभिव्यक्ति है यह ।शरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.com