Friday, March 27, 2009

तुम्हारा ख़याल



बहुत सुंदर लगती है
वेदों की ऋचाएं
कुरान की आयतें
बेवजह तुम्हारा ख़याल
काफ़िर बना देता है मुझे ॥

10 comments:

  1. सून्दर प्रयास। बहुत बहुत बधाई

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  2. बेहजह नहीं है कविता, इसकी भी सार्थकता है .

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  3. आँखों मे पड़ी रेत और तुम्हारी याद में अब कोई फ़र्क नही रहा...
    hame to ye bahut pasand aaya....

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  4. सुन्दर बात ..पर क्या सच में काफिर बना देता है या उस ख्याल को खुदा सा बना देता है .

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  5. kaafir to bana deta hai,magar kisi ka khyal bevjah nahin ho sakta.kisi ke khyal mein hi to sachmuch jindgi chhupi hoti hai.kisi ka khyal man mein aaye aisa aksar sabke saath nahin hota.kismat vaale hote hain vo jinhen kisi ka khyal aata hai aur vo jinka khyal aata hai.kaabile taareef rachna hai.congrets

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  6. आपने कविता में
    कविता से भी बड़ी बात कह दी.
    वह ख्याल ही इस कविता की
    सुन्दरता है....बेवज़ह नहीं !
    =========================
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

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  7. थोड़े शब्द, और बहुत गहरा अर्थ। वाह..

    ~जयंत

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  8. और सच में बहुत सुन्‍दर कही आपने यह कविता।

    -----------
    तस्‍लीम
    साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

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